गाजियाबाद में बच्ची से हैवानियत: सपने में आती थी बिटिया, अंकल इंसाफ दिला दो

गाजियाबाद में बच्ची से हैवानियत: सपने में आती थी बिटिया, अंकल इंसाफ दिला दो
गाजियाबाद, विवेक त्यागी। किसी की लिखी ये लाइनें हैवानियत का शिकार हुई मासूम बच्ची के लिए ही हैं, जो मौत के बाद भी इस समाज से न्याय की उम्मीद लगाए थी। यही वजह है कि केस के विवेचक सचिन मलिक और अभियोजन के अधिवक्ता संजीव बखरवा के सपने में आकर मासूम बच्ची उनसे कहती थी कि अंकल मुझे इंसाफ दिला दो। उसके ये शब्द हमेशा दोनों के कानों में गूंजते रहते थे।
वकील संजीव बखरवा और इंस्पेक्टर सचिन मलिक ने कहा मासूम बच्ची से हैवानियत की घटना के बाद शायद की ऐसा कोई दिन बीता होगा, जब बच्ची सपने में न आई हो। सपने में आकर फूल सी कोमल बच्ची सिर्फ एक बात कहती कि अंकल इंसाफ दिला दो। कानों में हर समय उसकी यही आवाज गूंजती रहती थी।
इस मामले ने दोनों को बेचैन कर रखा था। हर दिन भगवान से सिर्फ एक प्रार्थना करता था कि हे भगवान बच्ची से हैवानियत करने वाले को मृत्यु दंड मिलना चाहिए। शनिवार को अदालत ने फैसला सुनाकर यह मुराद पूरी की। दोनों ने इस केस को अंजाम तक पहुंचाने में खूब मेहनत की। पुलिस ने मजबूत साक्ष्य पेश किए तो अभियोजन ने मजबूर पैरवी। इस कारण बच्ची का न्याय मिल सका है।
ऐसे भेड़िये का जीवित रहना नारी समाज व मानता के लिए खतरा
विशेष लोक अभियोजक ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि अभिुयक्त ने हवस में अंधे होकर मासूम बच्ची से बर्बरता की, जिस कारण उसकी योनि की मांसपेशियां तक फट गईं। पीड़िता केवल साढ़े चार वर्ष की मासूम थी। अभियुक्त ने न केवल उसे विकसित होने से पूर्व ही कुचल दिया।
अभियुक्त का कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला है। ऐसे भेड़िये यदि समाज के अंदर जीवित रहे तो नारी समाज व मानवता के लिए एक गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा। यह विरल से विरलतम कोटि का मामला है। ऐसे हैवानियत भरे अपराधी को मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए, तकि समाज में पल रहे ऐसे भेड़ियों को सबक मिल सके।