BSF Shot Pak Drone: चीन निर्मित ड्रोन में बदलाव कर रहा पाकिस्तान, पंजाब और राजस्थान में गिराई जा रहीं ड्रग्स

BSF Shot Pak Drone - फोटो : Amar Ujala
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ द्वारा पंजाब में लगातार ड्रोन भेजे जा रहे हैं। ड्रोन के जरिए हथियार, कारतूस और ड्रग्स के पैकेट गिराए जाते हैं। अब यह खेल राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में भी शुरू हो गया है। बीएसएफ ने शुक्रवार रात को श्रीगंगानगर सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से आए एक ड्रोन को मार गिराया। सर्च के दौरान वहां से दो बैग बरामद हुए, जिनमें नशीले पदार्थों के छह पैकेट मिले हैं। इन पैकेट का वजन करीब छह किलोग्राम था। पाकिस्तान से आने वाले ज्यादातर ड्रोन की तकनीक में बदलाव किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ये ड्रोन, बीएसएफ की नजरों से बच जाएं। कुछ ड्रोन की आवाज बंद कर दी जाती है, तो अन्य ड्रोन की सिग्नल लाइट यानी उसके ब्लिंकर को हटा दिया जाता है। कई ड्रोन चीन निर्मित होते हैं। पाकिस्तान में उन ड्रोन की संचालन एवं सिग्नल प्रक्रिया में बदलाव कर उन्हें भारतीय सीमा में भेजा जाता है।
सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी बताते हैं कि पाकिस्तान द्वारा गत दो वर्षों से भारी संख्या में ड्रोन, भारतीय सीमा में भेजे जा रहे हैं। गत वर्ष अकेले पंजाब में ही करीब ढाई सौ ड्रोन आए थे। इनमें से दो दर्जन ड्रोन को बीएसएफ ने मार गिराया था। अब राजस्थान से लगती सीमा पर भी ड्रोन की गतिविधियां बढ़ रही हैं। पाकिस्तान से आने वाले चीन निर्मित ड्रोन के सिस्टम में कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। बीएसएफ से बचने के लिए ड्रोन की आवाज और उसकी लाइट को बंद कर दिया जाता है। पिछले दिनों पंजाब से लगते भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जब घना कोहरा छाया था, तब दर्जनों ड्रोन आए थे। ड्रोन की ऊंचाई ज्यादा होने, कम आवाज और ब्लिंकर बंद होने की वजह से बीएसएफ को ड्रोन गिराने में कई राउंड फायर करने पड़ते हैं। मौजूदा समय में ड्रोन को जवानों के फायर से बचाने के लिए उसकी ऊंचाई बढ़ा दी जाती है। हालांकि बीएसएफ उसे छोड़ती नहीं है।
बीएसएफ ने पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में जो ड्रोन गिराए हैं, उनकी लंबाई छह फुट तक रही है। कुछ ड्रोन तो ऐसे भी मिले हैं, जिनमें 25 हजार एमएच की बैटरी लगी थी। मतलब, ऐसे ड्रोन की मदद से 20-25 किलोग्राम सामान कहीं पर पहुंचाया जा सकता है। पहले जो ड्रोन आते थे, उनकी आवाज साफ सुनाई पड़ती थी। साथ ही वह ड्रोन रात को या अल सुबह आता था। उस वक्त ड्रोन की लाइटें नजर आती थीं। इससे बीएसएफ को निशाना लगाने में दिक्कत नहीं आती थी। अब ड्रोन में बदलाव के चलते बीएसएफ को हर पल सतर्कता बरतनी पड़ती है। बीएसएफ द्वारा उन सभी सीमावर्ती रास्तों पर विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जहां से तस्कर, बॉर्डर की तरफ आ सकते हैं। इसका फायदा यह रहता है कि अगर कोई ड्रोन जो बीएसएफ की नजर में नहीं आया हो, लेकिन वह कहीं आसपास ही उतरा है, तो उस स्थिति में बीएसएफ की टीमें उन तस्करों को सामान सहित पकड़ सकती हैं।
पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सर्विलांस के लिए बीएसएफ द्वारा कुछ जगहों पर ‘सीआईबीएमएस’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन का पता लगाने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम ‘एडीएस’ लगे वाहनों की खरीद को भी जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। इस सिस्टम की मदद से भारतीय सीमा में रात को या धुंध के दौरान आने वाले ड्रोन का भी पता लगाया जा सकता है। बीएसएफ के पास इस्राइल में निर्मित 21 ‘लॉन्ग रेंज रिकॉनिसेंस एंड ऑब्जर्वेशन सिस्टम’ (लोरोस) हैं। इसके जरिए दिन में 12 किलोमीटर दूर से किसी मानव का पता लगाया जाता है। अब बीस किलोमीटर की रेंज वाले ‘लोरोस या एचएचटीआई’ खरीदने का प्रपोजल तैयार किया गया है। नए उपकरणों को इतनी ऊंचाई पर लगाया जाएगा कि स्मगलर को छिपने या सुरक्षा बलों को गच्चा देने का कोई मौका नहीं मिलेगा। बीएसएफ को बहुत जल्द 546 ‘एचएचटीआई’ (अनकूल्ड) लांग रेंज वर्जन कैमरे मिल जाएंगे। इसके अलावा 878 ‘एचएचटीआई’ कैमरे भी खरीदे जाने हैं। इनमें 842 (अनकूल्ड) और 36 (कूल्ड) कैमरे खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।