‘हमारी माएं क्या हमें ख़ूनी खेल का निवाला बनाने के लिए पैदा करती हैं’

मस्जिद पर फ़िदायीन हमले के बाद पेशावर में मातम

पांच दिन पहले पुलिस लाइन में हुए बम ब्लास्ट का असर अब भी पेशावर में महसूस किया जा सकता है. 30 जनवरी को हुआ ये ब्लास्ट पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ़ हुआ अब तक का सबसे बड़ा फ़िदायीन हमला है. इस धमाके से पूरा पाकिस्तान अब तक दहला हुआ है.

एक तरफ़ ब्लास्ट में मारे गए 100 लोगों और दर्जनों ज़ख्मी हुए लोगों का परिवार बेहाल है, तो दूसरी तरफ ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की पुलिस के बीच हमले के बाद असंतोष बढ़ता दिख रहा है.

प्रांत के पुलिस प्रमुख का दावा है कि वो पुलिस लाइन में फ़िदायीन हमले के पीछे चरमपंथी गुट का पता लगा रहे हैं. उधर प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने एक बैठक में ख़ैबर पख़्तूनख्वा प्रांत की पुलिस को और मज़बूत बनाने को लेकर चर्चा की.

‘हम अपने बच्चों को मार दिए जाने के लिए बड़ा कर रहे हैं?’

ये सवाल है कॉन्स्टेबल मुराद ख़ान के परिजनों का. 28 साल के मुराद पुलिस लाइन पर हुए हमले में मारे गए. उनका घर पेशावर के चारसड्डा रोड पर है.

बीबीसी ने उनके परिजनों से बातचीत की, तो हमले के बाद त्रासदी की दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई.

कुछ ही दिन पहले कॉन्स्टेबल मुराद की शादी हुई थी. घर से अभी शादी की झालरें और साज-सजावट पूरी तरह नहीं उतरी. उनके कमरे में सफेद और लाल गुलाब के फूल अभी पूरी तरह मुरझाएं भी नहीं हैं.

मुराद की नई नवेली बेग़म के हाथों की मेंहदी अभी उतरी नहीं. घर के एक कोने में ख़ामोश पड़ी मुराद की पत्नी लगातार रोए जा रही है.

मुराद सिर्फ उनके शौहर ही नहीं, पूरे घर परिवार का चिराग़ थे. पुलिस में उनकी बहाली के बाद घर में नई रौनक आई थी. लेकिन आज मातम है.

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मुराद के भाई समेत तमाम पुरुष घर के आंगन में जमा हैं. मुराद के भाई सलमान ख़ान भी पुलिस में हैं. जिस दिन पुलिस लाइन की मस्जिद पर हमला हुआ, उस दिन उनकी छुट्टी थी.

उस हमले के बाद जिस तरह अफ़रा-तफ़री मची, उसे बताते हुए सलमान बेचैन हो जाते हैं.

वो बताते हैं, “मैं भाई को ढूंढने के लिए पागलों की तरह इधर-उधर भाग रहा था. लेकिन वो कहीं नहीं मिला. सुरक्षाबलों ने मुझे घटनास्थल पर जाने से रोक दिया. उसके बाद में काफी देर तक पार्किंग में बैठा रहा, रोता रहा.”

सलमान बताते हैं कि उनके भाई के बारे में देर रात तक कुछ पता नहीं चला. पूरा परिवार उनकी सलामती के लिए रात भर दुआएं करता रहा. लेकिन सुबह एक फ़ोन कॉल के साथ सब ख़त्म हो गया. फोन पर सूचना दी गई उनके भाई मुराद फ़िदायीन हमले में शहीद हो गए.

सलमान ये बताते हुए फफकने लगते हैं, “हम अल्लाह के आगे रोने के सिवा और क्या कर सकते हैं, किसको अपने अंदर का हाल बताएं कि हम किस कदर टूट चुके हैं.”

सलमान के साथ खड़े उनके चचेरे भाई अदनान पूछते है, “क्या हमारी माएं हमें इसलिए पैदा करती हैं कि हम इस तरह मारे जाएं, इस खूनी खेल का निवाला बन जाएं?”

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‘हम अपनी ज़िंदगी क़ुर्बान क्यों कर रहे हैं?’

बीबीसी की टीम जब पेशावर के लेडी रीडिंग हॉस्पिटल पहुंची, तो वहां सामने ही बेड पर कॉन्स्टेबल सुहैल अहमद पड़े थे. सुहैल उस हमले में ज़िंदा बच गए, लेकिन उनके सिर और हाथ-पांव में गहरे ज़ख़्म हैं.

बेड पर पड़े अस्पताल की छत की तरफ एकटक देखते सुहैल बताने लगे, “मेरे कानों में अब भी उस ब्लास्ट की भयानक आवाज़ लगातार गूंज रही है. ऐसा लगता है, वो धमाका अभी होने वाला है. जो चीज़ें मैंने अपने आंखों के सामने देखीं वो लगातार मेरे ज़ेहन में घूम रही हैं. मैं इसे ताउम्र नहीं भूल सकता.”

सुहैल 10 साल से पुलिस में हैं. इस दौरान ये दूसरी बार हुआ है, जब वो मौत के मुंह में जाते-जाते बचे. इस बार तो मौत से ऐसा सामना हुआ कि उनके अंदर से पुलिस की नौकरी जारी रखने की सारी वजहें ख़त्म हो चुकी हैं.

सुहैल के मन में ये सवाल लगातार उठ रहा है, “हम अपनी जान क्यों क़ुर्बान कर रहे हैं? हम जो भी करते हैं वो पाकिस्तान और इसकी आवाम के लिए करते हैं. लेकिन इसके बदले हमें सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए? मैं एक किराए के मकान में रहता हूं. अपने साथ पुलिस ड्यूटी पर शहीद अपने भाई के परिवार को भी चलाता हूं.”

इस तरह की भावनाएं तमाम पेशावर, मालाकंद और स्वाबी के तमाम पुलिस समूहों में दिखीं. इन लोगों ने हमले के खिलाफ़ प्रेस क्लब के सामने पुलिस यूनिफॉर्म पहनकर अपना विरोध ज़ाहिर किया और सरकार से अपनी सुरक्षा के लिए बेहतर हथियार और सुविधाओं की मांग की.

प्रदर्शन में शामिल पुलिसवालों ने कहा कि ‘हम लोग अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि हम औरों की बेहतर सुरक्षा कर सकें. हम चाहते हैं कि हमले में इतने पुलिसकर्मियों की मौत की कोई जवाबदेही तय हो.’

पुलिसकर्मियों का ये प्रदर्शन पूरी दुनिया की मीडिया में सुर्खियों में रहा.

इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ख़ैबर पख़्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख मुअज़्ज़म जाह अंसारी ने कहा कि ‘ऐसे वक्त में जब हम हमले में मारे गए अपने वीर जवानों की मौत का मातम मना रहे हैं, कुछ लोग हमारे जवानों को गुमराह किए जाने की साज़िश रच रहे हैं.’

मुअज़्ज़्म अंसारी ने कहा, “जिन्हें हमने पलटवार करने के लिए प्रशिक्षित किया, वही अब अपनी सुरक्षा की बात करने लगे हैं. तो इस देश की रक्षा कौन करेगा?”

उन्होंने ये बात भी ज़ोर देकर कही कि हमले के बाद पुलिस फोर्स में कहीं कोई असंतोष नहीं था. ये कुछ लोगों का मंसूबा है जो पूरी दुनिया में इस बात की सुर्खियां बनाना चाहते हैं.

हालांकि उन्होंने ये बात कुबूल की कि हमले से पुलिसकर्मी आहत हैं. देश को उनकी बातें सुनने और सहानुभूति जताने की ज़रूरत है.

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‘हम लोग हर मौत का बदला लेंगे’

अब तक की जांच में पुलिस ने इस बात की तस्दीक़ की है, कि पुलिस लाइन की मस्जिद पर फ़िदायीन हमला हुआ था और धमाके के लिए 10 से 12 किलो शक्तिशाली विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था.

हालांकि जांच में ये बात भी सामने आई है कि हमले में हताहतों की संख्या बढ़ने की वजह 50 साल पुरानी मस्जिद की खस्ताहाल इमारत भी है.

मस्जिद के मलवे में पुलिस को वो बॉल बेयरिंग भी मिली हैं जिसे फ़िदायीन हमलावर ने अपने ‘जैकेट बम’ में लगा रखा था. धमाके की जगह से हमलावर का क्षत-विक्षत सिर भी बरामद हुआ है.

पुलिस को हमलावर का पूरे मूवमेंट कैप्चर करने वाली सीसीटीवी का फुटेज भी मिल गया है. इसमें दिखता है कि हमलावर ने पुलिस की वर्दी पहन रखी है. उसने चेहरे पर मास्क और सिर पर हैलमेट भी पहन रखा है. इसके अलावा वो ‘सुसाइड जैकेट’ भी पहना हुआ है.

सीसीटीवी में उसे अपनी बाइक रोड के किनारे खड़ी करते हुए देखा जा सकता है. इसके बाद वो चेक प्वाइंट पर तैनात पुलिसवालों के पास जाता है और मस्जिद तक जाने के लिए रास्ता पूछता है.

पुलिस का कहना है कि हमलावर अकेला नहीं हो सकता, बल्कि उसके पीछे एक पूरा चरमपंथी नेटवर्क है.

ख़ैबर पख़्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख मुअज़्ज़्म अंसारी ने ये कुबूल किया कि ‘चेक पोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही की वजह से हमलावर कामयाब हुआ. इन्होंने हमलावर को देखा, मगर उन्हें लगा कि ये पुलिस का ही आदमी है.’

अंसारी ने ये भी कहा कि वो हमले के लिए ज़िम्मेदार चरमपंथी नेटवर्क का पता लगा रहे हैं, लेकिन जांच का नतीजा निकलने में अभी वक्त लग सकता है.

उन्होंने ये अपील भी की, “मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता. लेकिन हमें चोट पहुंचाना बंद कीजिए. हमारे खिलाफ़ साज़िश मत रचिए, हमें जांच करने दीजिए. “

पुलिस प्रमुख ने ये भी कहा कि हमले के बाद से पुलिस महक़मा बेहद दुखी है. लेकिन हम एक-एक मौत का बदला लेकर रहेंगे.

उन्होंने कहा, “हम लोग आपके लिए लड़ेंगे और अपने आप के लिए भी लड़ेंगे.”

इस बीच प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद ये ऐलान किया कि, ‘ख़ैबर पख़्तूनख्वा प्रांत की पुलिस और काउंटर टेरररिज्म डिपार्टमेंट को मज़बूत बनाने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी.’

प्रधानमंत्री ने हमले के पीड़ितों को 20-20 लाख रुपये मुआवज़ा देने का भी ऐलान किया.

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हमले के पीछे किसका हाथ?

मस्जिद पर हमले के बाद इसकी ज़िम्मेदारी पाकिस्तान में प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन तहरीक़-ए-तालिबान (टीटीपी) ने ली थी. लेकिन जल्दी टीटीपी ने अपना बयान ये कहते हुए वापस ले लिया कि ‘ये हमला मस्जिद और सार्वजनिक जगहों के लिए बनाई हमारी गाइडलाइन्स और मूल्यों के खिलाफ़ है.’

टीटीपी ने इस बात के संकेत दिए कि इस हमले के पीछे उसके किसी स्थानीय धड़े का हाथ हो सकता है.

हालांकि पुलिस और कानून व्यस्था से जुड़ी दूसरी एजेंसियों को लगता है कि टीटीपी ने इस हमले की ज़िम्मेदारी इसलिए वापस ले ली, क्योंकि मस्जिद पर हमले और इतनी सारी मौतों से उनकी छवि धूमिल होती.

ख़ैबर पख़्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख मुअज़्ज़्म अंसारी ने इस बात को सार्वजनिक किया कि अब तक की जांच में जो सूचनाएं और तकनीकी सबूत मिले हैं, उसके मुताबिक ये हमला टीटीपी के एक धड़े ‘जमात-उल-अहरार’ का लगता है.

उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि हमले के पीछे कोई ‘अज्ञात खुफिया एजेंसी’ भी है, जो पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम कर रही है.

टीटीपी ने पाकिस्तानी सेना के साथ पिछले दिसंबर में सीज़फ़ायर खत्म होने के बाद से हमले तेज़ कर दिए हैं. हाल के कई हमलों में इसने पाकिस्तान के सुरक्षाबलों को निशाना बनाया. पाकिस्तान का दावा है कि टीटीपी के आका इन हमलों की प्लानिंग और इसे अंजाम अफ़ग़ानिस्तान से दे रहे हैं. इस आधार पर पाकिस्तान ने तालिबान सरकार से टीटीपी के खिलाफ़ सख़्ती बरतने को कहा.

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज़ ज़ाहरा बलोच ने अपने साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा कि, ‘हम पुलिस लाइन पर हमले की जांच में अफ़ग़ान सरकार से सहयोग की उम्मीद करते हैं.’

इस बीच एक सवाल कॉन्स्टेबल सलमान, हमले में मारे गए कॉन्स्टेबल मुराद ख़ान के भाई, का है. वो पूछते हैं, “क्यों? हम गरीबों के बच्चे ही क्यों मारे जाते हैं? हमने उनका क्या बिगाड़ा है? हमें इस तरह शिकार क्यों बनाया जा रहा है?”

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